दिसंबर, 2019, भोपाल
बेरोकजिंदगी अभियान के दूसरे चैप्टर ने आज मल्टीमीडिया जागरूकता अभियान अस्थमा के लिए इनहेलर्स हैं सही को लॉन्च किया। यह नया अभियान अस्थमा के विषय में जागरूकता और शिक्षा पर फोकस करता है और साथ ही इसमें इन्हेलर्स के साथ चिकित्सा और मरीज को लगातार इस बात के लिए प्रेरणा भी दी जाती है कि वह अवरोध रहित जीवन जिए। इस अभियान का उद्देश्य इनहेलेशन थेरेपी के कलंक को मिटाना है और मुख्य मुद्दों और थेरेपी से जुड़े मिथकों के विषय में बताते हुएए इसे अधिक सामाजिक स्वीकृति दिलाना है। इससे अभिभावकों और फिजिशियन के बीच अधिक संवाद करने में मदद मिलेगी और मुख्य रूप से यह बताया जाएगा कि इनहेलर्स बच्चों के लिए उपयुक्त हैं और सभी स्तरों की गंभीरता के लिए इनहेलर्स एडिक्टिव नहीं हैं और ओरल सोलूशन्स की तुलना में इससे अच्छे परिणाम मिलते हैं।
अस्थमा एक क्रॉनिक ;लम्बीअवधिद्ध बीमारी है जिसकी पहचान आमतौर पर वायुमार्ग में जलन और वायु मार्ग के संकरा हो जाने से की जाती है, यह समय के साथ घट बढ़ सकती है। ऐसा अनुमान है कि भोपाल के स्थानीय डॉक्टर्स रोजाना अस्थमा / रेस्पिरेटरी बीमारियों के 65 मरीजों को देखते हैं। पीडियाट्रिक अस्थमा सेगमेंट में भी वर्ष दर वर्ष उल्लेखनीय वृद्धि देखी गयी है डॉक्टरों का मानना है कि वह हर महीने अनुमानतः 30.35 नए मामले अस्थमा से पीड़ित बच्चों के देखते हैं। अभी तक 2019 में औसतन भोपाल में पिछले वर्ष की तुलना में 45ः अस्थमा के मरीजों की संख्या बढ़ी है, भोपाल की लगभग एकतिहाई आबादी किसी समय तक अस्थमा के रोग का शिकार हो सकती है जिसमें अधिकतर 20 वर्ष से कम आयु के बच्चे होंगे। फिलहाल पिछले कुछ वर्षों में इनहेलेशन थेरेपी का इस्तेमाल करने वाले मरीजों की संख्या में वृद्धि हुयी है अनुमानतः 65ः अस्थमा के मरीज इनहेलर का इस्तेमाल बंद कर देते हैं।
भोपाल में अस्थमा के प्रचलन का सबसे बड़ा कारण वायु प्रदुषण के अलावा बढ़े हुए एयर पारटिकुलेट तत्वए पॉलेनए स्मोकिंगए खाने की आदतें पोषक तत्वोंा की कमी आनुवंशिकी प्रवृत्ति और बड़े पैमाने पर अभिभावकों की लापरवाही है। फेफड़े की बीमारियों का प्रतिशत और संख्या विशेषकर भोपाल में काफी बढ़ी है। अस्थमा के तेजी से बढ़ने के बावजूद भारत में इसके नियंत्रण की प्रक्रिया सभी बीमारियों से ख़राब है।
यह स्पष्ट है कि अस्थमा का रोग भारत में तेजी से बढ़ रहा है और सबसे प्रभावकारी थेरेपी को लेकर यहां अभी भी जागरूकता बहुत कम है। नामचीन हस्तियां जैसे अभिनेत्री राधिका आप्टेए मशहूर शेफ विकास खन्नाए अर्जुन अवार्ड से पुरस्कृत बैडमिंटन खिलाड़ी पारुपल्ली कश्यप और डिजिटल इन्फ्लुएंसर सृष्टि दीक्षित इस अभियान से जुड़े हैं जिसका उद्देश्य अस्थमा और इनहेलेशन थेरेपी से जुड़े सामाजिक कलंक को मिटाना है। यह अभियान इस बात पर जोर देता है कि अस्थमा के मरीज के लिए ओरल थेरेपी जैसे टैबलेट और सीरप की तुलना में इनहेलेशन थेरेपी सबसे प्रभावकारी औषधि है। इनहेलेशन थेरेपी में दवा शरीर के रुधिर धमनियों या दूसरे अंगों में पहुँचने के बजाय सीधे फेफड़ों में पहुँचती है। इस प्रकार इसमें दवा की खुराक कम होती है और इसमें साइड इफ़ेक्ट कम होते हैं। वास्तव में अस्थमा के मरीजों के लिए यह सबसे सुरक्षित चिकित्सा विकल्प है।
डॉ। लोकेंद्र दवे ;एचओडी . छाती विभागए गांधी मेडिकल कॉलेज ने कहा इनहेलर बहुत महत्वेपूर्ण है और इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 16ः माइल्ड अस्थमा मरीजों को जान का खतरा है। 30.37ः वयस्क अस्थमा के मरीज गंभीर अस्थमा के शिकार हैं जिन्हें मामूली अस्थमा था और अस्थमा के कारण जिन 15.20ः मरीजों की मौत हुई उन्हें् माइल्ड अस्थमा था। यह अपने आप में एक गंभीर विषय है जिसको अनदेखा नहीं किया जा सकता। तमाम शोधों में यह बात सामने आयी है कि बच्चे और वयस्क माइल्ड अस्थमा को लेकर नियमित इलाज नहीं कराते. असल जिंदगी में नियमित चिकित्सा का पालन करने का यह प्रतिशत मात्र 30ः है। इसलिए वास्तविक जीवन में देखें तो अधिकांश मरीज किसी प्रकार से इनहेलर का उपयोग तभी करते हैं जब उसकी आवश्यकता होती है।
इस अवसर पर डॉ। राहुल अग्रवाल ;सलाहकार बाल रोग विशेषज्ञ . बॉम्बे चिल्ड्रन हॉस्पिटलद्ध ने कहा ष्लोगों को यह तथ्य नहीं छिपाना चाहिए कि उन्हें अस्थमा है और यह बहुत जरूरी है जितना जल्दी हो सके इस का सही दवाओं जैसे इनहेलेशन थेरेपी से इलाज किया जाए। समय से पहचान करना और सही उपचार को साधारण लाइफस्टाइल में बदलाव लाते हुए अस्थमा को मैनेज करने में अच्छी मदद मिलती है। अस्थमा को जल्दी पहचान कर और सही उपचार योजना तैयार करके उस पर आसानी से नियंत्रण किया जा सकता है।
श्री श्रीशैल देशनूर ;प्रमुखए उपभोक्ता विपणन . सिप्लाद्ध का कहना हैए ष् रुबेरोकजिंदगी के पहले चरण को काफी अच्छा प्रतिसाद मिला और इसमें 14ः लोगों में जागरूकता वृद्धि और इन्हेलेशन थेरेपी की स्वीकृति प्राप्त हुई।1 यह अभियान लगातार चलेगा और भारत में लाखों लोगों को प्रेरणा देता रहेगा। एक ओर सकारात्मक झुकाव सफलता की बात कहता हैए वहीं अभी भी इस क्षेत्र में उन लोगों के लिए बहुत कुछ किया जाना बाकी है जो अस्थमा से पीड़ित हैं। यह वह लोग हैं जो अपनी पसंद का जीवन नहीं जी पा रहे हैं क्योंकि गलत सूचना और कलंक इस बीमारी को स्वीकृति नहीं देर हे और सार्वजनिक तौरपर इनहेलर का प्रयोग करने से बच रहे हैं। लिहाजाए हमें अपना काम रुप्दींसमतेभ्ंपैंीप के माध्यम से जारी रखना होगा।ष्
डॉ। राहुल अग्रवाल ने आगे कहा कि ष्इस तरह के अभियान बहुत जरूरी हैं क्योंकि इससे अस्थमा के विषय में जागरूकता फ़ैलाने में मदद मिलती हैए साथ ही इससे जुड़े मनो सामाजिक पहलुओं को भी संबोधित करने में मदद मिलती हैए जिसमें कलंक जोकि मरीज की एंग्जामइटी में योगदान का एक प्रमुख घटक हैए डायग्नोेसिस में देरीए अस्थ मा होने से इनकार करना अथवा इसका सीमित खुलासा करना और लोगों के सामने इनहेलर का इस्तेेमाल करने से बचना आदि शामिल हैं। इस अभियान से यह बात फ़ैलाने में भी मदद मिलेगी कि आज इनहेलेशन थेरेपी को लेकर मानसिक बदलाव लाने की जरूत है क्योंहकि यह अस्थमा प्रबंधन के लिए सबसे असरकारक उपचार है। यह ओरल इलाज के साथ.साथ चलना चाहिए। ष्
यह बहुत जरूरी है कि अस्थमा और इनहेलेशन थेरेपी को लेकर जो धारण बनी हुई हैए उसमें बदलाव लाया जाये। इनहेलेशन उपचार लोगों के जीवन में अस्थमा के प्रभाव को कम करने में महत्वंपूर्ण भूमिका निभा सकता हैए इसलिए इसका अनुपालन करना भी उल्लेवखनीय है। हम चाहते हैं कि मरीज अगर पूरा लाभ चाहता है तो उसे उपचार को उसी तरह से अपनाना चाहिए जैसा उसे बताया गया है। इनहेलेशन थेरेपी अस्थमा पर नियंत्रण लाने का काम करती है जिससे जलन में कमी आती है और जो लक्षण दिखते हैंए उससे राहत मिलती है लेकिन यह तभी कारगर होता है जब मरीज अपने फिजिशियन के साथ मिलकर काम करें और जो उन्हें बताया जा रहा है उसका सख्तीब से पालन करें। इस स्थिति पर व्याक्ति की जानकारी को बढ़ाया जाना भी जरूरी है क्योंकि मरीज इनहेलेशन थेरेपी को बीच में ही छोड़ देते हैं जिससे बीमारी पर नियंत्रण पाना मुश्किल हो जाता है।
रुबेरोकजिंदगी के आखिरी चैप्टर को भारत भर के हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स से काफी सकारात्मक प्रतिसाद मिला जहां शोध से पता चलता है कि डॉक्टेरों द्वारा अस्थोमा के उपचार के दौरान इनहेलेशन थेरेपी को प्रिस्क्रािइब करने में 16 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी गई।2रुबेरोकजिंदगी के पिछले चरण के समाप्तव होने के बाद इनहेलर्स को खारिज किये जाने में 26 प्रतिशत की कमी आई है जोकि इस अभियान के असर को दर्शाता है।3
रुपदींसमतेींपदेंीप का उद्देश्य लाखों लोगों को मुक्त.श्वांस दिलाने में मदद करना है और यह अस्थमा के मरीजों की मदद के लिए लाया गया है ताकि उन्हें इनहेलेशन थेरेपी के इस्तेमाल के लिए प्रेरित किया जा सके। स्थितियों से भागना जीवन की गुणवत्ता में कोई सुधार नहीं आयेगा बल्कि इसे स्वीरकार करने से यह सम्भव होगा। अस्थमा को दवाओं से नियंत्रित किया जा सकता है लेकिन सही इलाज के अभाव में वह बार.बार आक्रमण करता रहेगा।