ध्रुपद गायन से सुसज्जित रही विश्व रंग की संध्या


विश्व रंग के चौथे दिन की संध्या का शुभारम्भ हुआ शास्त्रीय संगीत के एक अनूठी और अप्रतिम शैली "ध्रुपद गायन" से. पद्मश्री गुंदेजा बंधुओं ने राग भोपाली में गणेश वंदना " शंकर सूत गणेशा" के साथ संध्या के आगाज़ किया. पद्मश्री श्री राममकान्त और उमाकांत गुंदेजा जी ने भोपाल में ध्रुपद संस्थान की स्थापना की थी. कार्यक्रम के दौरान उन्होंने निराला जी के द्वारा रचित टूटे सकल बंध , राग शंकरा की प्रस्तुति दी. क्रायक्रम के अंत में उन्होंने शिव आराधना की ऐसी अनूठी प्रस्तुति दी कि सभागार में उपस्थित हिंदी भाषी जनों के साथ वह मौजूद विदेशी अतिथि भी ओतप्रोत नज़र आये.