नई दिल्ली। बिक्री, उत्पादन और रोजगार में धीमी वृद्घि की वजह से देश के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की गतिविधियां अगस्त में घटकर 15 महीनों के न्यूनतम स्तर पर आ गईं। सोमवार को जारी एक मासिक सर्वे रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई। आईएचएस मार्किट का इंडिया सूचएकांक पीएमआई जुलाई में 52.5 पर थाए जो अगस्त में गिरकर 51.4 पर आ गया। यह मई 2018 के बाद का सबसे निचला स्तर है। बावजूद इसके यह लगातार 25वां महीना है जब मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई 50 ऊपर रहा।
आईएचएस मार्केट की प्रधान अर्थशास्त्री पॉलिएना डी. लीमा ने कहा- अगस्त में भारतीय मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में सुस्त वृद्घि और अधिक लागत का दबाव देखा गया। काम के नए ऑर्डर उत्पादन और रोजगार को मापने वाले सूचकांकों समेत अधिकांश पीएमआई सूचकांकों में कमजोरी का रुख रहा।
वैश्विक मोर्चे पर बिगड़े हालात: वैश्विक मोर्चे पर बिगड़ते हालात के बीच निजी निवेश और उपभोक्ता मांग में सुस्ती के कारण अप्रैल.जून तिमाही में भारत की आर्थिक वृद्घि दर घटकर 5 प्रतिशत रह गई। यह छह साल की सबसे कम वृद्घि दर है। बहरहाल अगस्त में मैन्युफैक्चरिंग की बिक्री में 15 महीनों में सबसे धीमी गति से विस्तार हुआ। उत्पादनए समग्र वृद्घि और रोजगार सृजन पर इसका दबाव पड़ा। इसके अलावाए कारखानों ने मई 2018 के बाद पहली बार खरीदारी में कमी की है।
खरीदारी घटना चिंताजनकः लीमा ने कहा-15 महीने में पहली बार खरीदारी गतिविधियों में कमी चिंताजनक संकेत है। स्टॉक में जानबूझकर कटौती और पूंजी की कमी के कारण ऐसा हुआ है। सर्वे रिपोर्ट में कहा गया कि तगड़ी प्रतिस्पर्धा और बाजार में चुनौतीपूर्ण हालात ने तेजी रोकने में बड़ी भूमिका निभाई। अगस्त में विदेशों से आने वाले नए कारोबारी ऑर्डर की गति भी धीमी रही। घरेलू और अंतरराष्ट्रीय ग्राहकों को बिक्री सुस्त पड़ने से उत्पादन वृद्घि प्रभावित हुई।
इनपुट लागत 9 माह के ऊंचे स्तर पर: सर्वे में शामिल कुछ सदस्यों ने नकदी प्रवाह से जुड़ी दिक्कतों और धन की कमी की सूचना दी। रोजगार के मोर्चे पर सर्वेक्षण में कहा गया कि कमजोर बिक्री ने मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों को सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारियों की जगह दूसरे कर्मचारी रखने से रोका है। कीमत के मोर्चे पर इनपुट लागत बढ़कर नौ महीने के ऊंचे स्तर पर पहुंच गई। लागत बढ़ने खरीद गतिविधियां बाधित हुईं।